श्रीझाडखण्डनाथ तीर्थ स्थली मे पुजारियो व अन्य कर्मचारियों की संख्या पर्याप्त है। जो निरन्तर झाडखण्ड महादेव कि सेवा में तत्पर रहते है।

स्वयंभू श्रीझाडखण्डनाथ  शिवज्योर्तिलिंग तीर्थ स्थली की शब्दों रूपी यात्रा से आपको यह अहसास जरूर हो गया होगा कि इस पावन पवित्र तीर्थ स्थान का निर्माण स्वयं शिव प्रभू कि आज्ञा से श्रभ् विश्वकर्मा जी के हाथो से ही हुआ होगा यह मि ऐसा मान सकते है। पंचनाथो मे एक नाथ श्री झाडखण्डनाथ  शिवज्योर्तिलिंग तीर्थ स्थली के सौन्दर्य व शांत वातावरण के कारण ही यह मान्यता हो गई है की श्री झाडखण्डनाथ तीर्थ स्थली के आगे ईद्र का स्वर्ग भी यकिनन फीका रहा होगा। यहा के सौन्दर्यता, मधुरता व आघ्यात्मिकता के वातावरण को यहां चारो ओर लिखे अमृत श्लोकों ने चार चांद तो लगा ही रखे है अपितू द्रविड शैली का मंदिर निर्माण होने से पंचनाथो में एक नाथ श्री झाडखण्डनाथ को बाहर ज्योर्तिलिंग के स्थान पर भारत के तेरवें ख्याति प्राप्त शिवज्योर्तिलिंग की मान्यता को कहलाने के लिए बाध्य कर दिया है। यहां की शिलाओं ने कैलाशपर्वत जैसा माहौल बना रखा है। केवल कमी है तो बर्फ की कन्द्राओं की, यदि बर्फ की कन्द्राओं का निर्माण यहां हो जाये तो? यहां के वातावरण मे साक्षात प्रभू कि आभा लिए माँ उमा शिवजी के समीप बैठी हुई, साथ में शिवगण भी इस पवित्र स्थान पर विचरा करते हुए का आभास कराते हुए देखे जा सकते है।

यदि यह कहा जाये कि स्वर्ग श्रीझाडखण्डनाथ महादेव के चरणो के रूप मे ही इस धरती पर कलयुग मे सतयुग की याद दिलाते हुए मोक्ष स्थली के रूप में उŸार आया है तो कतई असत्य न होगा। कुछ लोगों का तो यहाँ तक कहना है कि वह जिन्दगी से हैरान, परेशान अंधकार व मायूसी से हताश पस्त होकरि इस स्थान पर अचानक चले आये और श्री झाडखण्डनाथ मोक्ष स्थली पर कदम रखते ही मानों उनसे कोई यह कर रहा हो ओर मानव तू क्यों परेशान होता है जब तेरे साथ भोले बाबा है तो डर कैसा जा सच्चे मन से शिव का आर्शीवाद ले शिव भला करेगें और एक आर श्री झाडखण्डनाथ महादेव के दर्शन व बाबा गोविन्द्नाथ का आर्शिवाद लेने से उनके कष्टो का निवारण तो हुआ ही है साथ ही वह नियमित दर्शनो के लाभ से स्वतः जुड गये। पंचनाथो मे एक नाथ श्रीझाडखण्डनाथ महादेव से हमारी विनती है की वह मानव को सद्बुद्धि प्रदान करे साथ ही सबके कष्ठ दूर करें। इसी कामना व भावना के साथ बोलो जय श्रीझाडखण्डनाथ महादेवकि जय बाबा गोविन्द्रनाथ की।